साहबÓ ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। जैसे ही बड़े साहब पहुंचे शुरू हो गई विधिवत होली। बड़े-बड़े ट्रे में फूलों की पंखुडिय़ां व अबीर-गुलाल लाईं गईं। सभी ने एक दूसरे पर फूलों की पंखुडिय़ां फेंककर होली खेली। फूलों की होली के बीच सभी ने बड़े साहब के साथ सेल्फी भी ली। होली गीत का आनंद उठाया। जैसे ही बड़े साहब होली मनाकर वहां से निकले वहां मौजूद सभी कर्मचारी अपने रौ में आ गए। फिर शुरू हुई असली होली। नृत्य व संगीत के बीच देखते ही देखते सभी होली के रंग में रंग गए। फिल्मी गीतों की धुन के बीच सब कुछ भूलकर कर्मचारियों ने जमकर होली खेली। इस बार का होली मिलन समारोह कई दिनों तक चर्चा में रहा। चर्चा इसलिए कि पहले साहब की मौजूदगी में फूलों की होली और फिर बाद में हुई असली होली।
कोरोना का 'खौफ
इन दिनों कोरोना के खौफ से हर व्यक्ति दहशत में है। ऐसे में विश्वविद्यालय परिसर अछूता रह जाए यह तो हो ही नहीं सकता। पिछले दिनों विश्वविद्यालय के कई विभागों ने अपने स्तर से संगोष्ठी का आयोजन किया। सैनिटाइजर लेकर छात्र-छात्राओं का हाथ साफ कराया और उन्हें जागरूक किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी कोरोना को लेकर अपने हाथ खोल दिए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्राओं में सैनिटाइजर वितरित किया गया। बाजार में सैनिटाइजर न मिलने से परेशान छात्राओं को तब राहत मिली जब बिना पैसा खर्च किए उन्हें मुफ्त में सैनिटाइजर मिल गया। जिसे मिला वह तो खुश नजर आया, लेकिन जिसे नहीं मिला वह विश्वविद्यालय प्रशासन को यह कहते कोसते नजर आया कि बांटना ही था तो सबसे देते। मुंह देखकर बांटने से अ'छा है न बांटते।
निरीक्षण में 'साहब की नाराजगी
आजकल विश्वविद्यालय में नैक मूल्यांकन को लेकर व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जा रही है। बड़े साहब विभागों का निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। जिस विभाग में जा रहे हैं वहां समस्याओं की लंबी सूची उनके सामने रख दी जा रही है। इसकी एक वजह है कि शायद नैक के बहाने ही विभाग का कायाकल्प हो जाए। साहब के सामने परेशानी यह है कि समय कम है और समस्याएं अधिक ऐसे में उसका निस्तारण कैसे कराएं। एक दिन बड़े साहब निरीक्षण करते हुए एक विभाग में पहुंचे वहां भी उन्हें खूब समस्याएं गिनाई गई। उन्हें बताया गया कि पिछले बीस-प'चीस वर्षों से कोई काम नहीं हुआ है। जिसके कारण आज एक साथ इतनी समस्याएं पैदा हो गईं हैं। यह सुनते ही साहब नाराज हो गए। कहने लगे कि क्या यह सभी समस्याएं एक दिन में पैदा हुईं हैं। क्या किसी ने निरीक्षण से पूर्व इन्हें बताने के लिए मना किया था? जितना जरूरी है पहले उसका निस्तारण कराएं, शेष बाद में देखा जाएगा।
चर्चा में 'कर्मचारी की शादी
विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में तैनात एक वरिष्ठ कर्मचारी की शादी इन दिनों परिसर में खूब चर्चा में है। 40 साल की उम्र में होने वाली इस शादी को लेकर सहयोगी कर्मचारी भी उत्साहित हैं। शादी भले ही मई में होने वाली है, लेकिन उसकी तैयारी में अभी से ही सारे कर्मचारी जुट गए हैं। जिसकी शादी हो रही है उसका उत्साह तो देखते ही बन रहा है। विश्वविद्यालय के कई शिक्षक व कर्मचारी तो यह सुनकर परेशान हैं कि क्या अभी तक इनकी शादी नहीं हुई है? जब कर्मचारी ने शांतभाव से शादी न होने का कारण बताया तब जाकर लोगों को विश्वास हुआ। निमंत्रण पत्र बंटने से पहले विश्वविद्यालय में इस शादी की चर्चा इसलिए भी अधिक है कि क्योंकि जिसे लोग अभी तक शादीशुदा समझ रहे थे वह अचानक कुंवारा निकल गया। हालांकि अभी भी बहुत से लोग शादी के बारे में कम, हकीकत पता करने में अधिक जुटे हैं।